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Saturday, July 14, 2012

पूंछ

कार में एक साफ-सुथरे कुत्ते को बैठा देख एक सज्जन बोल पड़े "देखा ! कितने ठाठ हैं इस कुत्ते के, और हम इंसान को देखो !" 
हम वहीं खड़े थे | हमने विनम्रतापूर्वक उन सज्जन से कहा- 'भाई ! इतनी ईर्ष्या क्यों ? वो भी एक अदने से कुत्ते से ? 
वो तपाक से बोले- अरे ! दिखता नहीं क्या हम इंसान तो ऐसे ही घूम रहे हैं और इस कुत्ते को देखो ! हमने सज्जन से कहा कि- ये इसकी क़ाबिलियत की वजह से यहाँ है | 
वो बोले क्या मतलब ?
हमने उनसे पूछा- क्या आपके पास हिलाने के लिए पूंछ है ?
वो बोले नही है |
हमने कहा- उसके पास है | 

आगे पूछा क्या आपके पास वफ़ादारी है ?
सज्जन कुत्ते के चारों तरफ देखने लगे | 

हमने पूछा क्या देख रहे हैं जनाब ! वो बोले ये कुत्ते का कौनसा अंग है ?
हमने कहा भाई ! ये अंग नहीं गुण है जो कुत्ते के दिल में रहता है | खैर छोड़ो हमने सज्जन से आगे कहा कि जब दोनों ही चीज़े आपके पास नहीं हैं तो जिंदगी के ठाठ भूल जाइए | धन्यवाद |

-Priyadarshan Shastri

1 comment:

  1. Bhai waah! Khoob aayina dikhaya hai aapane insaan ko!

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