कार में एक साफ-सुथरे कुत्ते को बैठा देख एक सज्जन बोल पड़े "देखा ! कितने ठाठ हैं इस कुत्ते के, और हम इंसान को देखो !"
हम वहीं खड़े थे | हमने विनम्रतापूर्वक उन सज्जन से कहा- 'भाई ! इतनी ईर्ष्या क्यों ? वो भी एक अदने से कुत्ते से ?
वो तपाक से बोले- अरे ! दिखता नहीं क्या हम इंसान तो ऐसे ही घूम रहे हैं और इस कुत्ते को देखो ! हमने सज्जन से कहा कि- ये इसकी क़ाबिलियत की वजह से यहाँ है |
वो बोले क्या मतलब ?
हमने उनसे पूछा- क्या आपके पास हिलाने के लिए पूंछ है ?
वो बोले नही है |
हमने कहा- उसके पास है |
आगे पूछा क्या आपके पास वफ़ादारी है ?
सज्जन कुत्ते के चारों तरफ देखने लगे |
हमने पूछा क्या देख रहे हैं जनाब ! वो बोले ये कुत्ते का कौनसा अंग है ?
हमने कहा भाई ! ये अंग नहीं गुण है जो कुत्ते के दिल में रहता है | खैर छोड़ो हमने सज्जन से आगे कहा कि जब दोनों ही चीज़े आपके पास नहीं हैं तो जिंदगी के ठाठ भूल जाइए | धन्यवाद |
-Priyadarshan Shastri
हम वहीं खड़े थे | हमने विनम्रतापूर्वक उन सज्जन से कहा- 'भाई ! इतनी ईर्ष्या क्यों ? वो भी एक अदने से कुत्ते से ?
वो तपाक से बोले- अरे ! दिखता नहीं क्या हम इंसान तो ऐसे ही घूम रहे हैं और इस कुत्ते को देखो ! हमने सज्जन से कहा कि- ये इसकी क़ाबिलियत की वजह से यहाँ है |
वो बोले क्या मतलब ?
हमने उनसे पूछा- क्या आपके पास हिलाने के लिए पूंछ है ?
वो बोले नही है |
हमने कहा- उसके पास है |
आगे पूछा क्या आपके पास वफ़ादारी है ?
सज्जन कुत्ते के चारों तरफ देखने लगे |
हमने पूछा क्या देख रहे हैं जनाब ! वो बोले ये कुत्ते का कौनसा अंग है ?
हमने कहा भाई ! ये अंग नहीं गुण है जो कुत्ते के दिल में रहता है | खैर छोड़ो हमने सज्जन से आगे कहा कि जब दोनों ही चीज़े आपके पास नहीं हैं तो जिंदगी के ठाठ भूल जाइए | धन्यवाद |
-Priyadarshan Shastri
Bhai waah! Khoob aayina dikhaya hai aapane insaan ko!
ReplyDelete