
रावण को दशानन भी कहा गया है.. रामायण में इसका उल्लेख है I... दशानन का शाब्दिक अर्थ है जिसके दस आनन होते हैं I .....प्राकृतिक रूप से देखा जाये तो समस्त प्राणियों के एक ही मुख होता है .... अतः रावण का भी एक ही मुख होगा परन्तु उसमें दस मुख जितनी शक्ति हो सकती है इसलिए उसे प्रतीकात्मक रूप में दशानन कहा गया हो I .......माना जाता है रावण ब्राम्हण था और वेदों का परम ज्ञाता था I इसके अलावा वह तन्त्र मन्त्र एवं मायावी शक्तियों का जानकार भी था ... वह शिव का परम भक्त भी था I....जो भी हो रावण के दस मुख के सम्बन्ध में अलग अलग थ्योरी हैं I ..........यहाँ मेरे ख़याल से .......एक थ्योरी और भी होनी चाहिए I ..... वैसे तो चार दिशाएँ ही हैं परन्तु शास्त्रोक्त मान्यता अनुसार दिशाओं की संख्या दस होतीं हैं -
पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान्, आग्नेय, वायव्य, नैऋत्य, ऊर्ध्व, एवं अधो I ..... रावण के दस आनन का सम्बन्ध इन दस दिशाओं से तो नहीं ? .... दसों दिशाओं पर जिसकी दृष्टि समान रूप से रहती हो ऐसा व्यक्ति दशानन हो I .....रावण पराक्रमी यदि है तो दसों दिशाओं पर दृष्टि तो रखता होगा ना !!
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