जवान बेटा (अपने पिता से)- "पिताजी !! आप जब तक अपनी शादी की वीडियो नहीं दिखाएंगे तब तक मैं नहीं मानने वाला कि मेरी माँ आपकी पत्नी है।"
पिता - "बेटा ये तुम क्या बेतुकी बात कर रहे हो ! मेरे जमाने में शादी की वीडियो तो छोड़ो फोटो तक नहीं खींची जाती थी ।
जवान बेटा- "कोई बात नहीं ... शादी की कुमकुम पत्रिका या कार्ड ही दिखा दो वो तो होगा !"
पिता - "बेटा मेरे बापू यानि तुम्हारे दादा ने मेरी शादी बड़ी ही मुश्किल से चार पैसे इकठ्ठा करके की थी,.... कार्ड कहाँ से छपवाते ! हमने तो पीले चावल देकर ही लोगों को न्यौता दे दिया था '"
जवान बेटा- "तो फिर वो पीले चावल ही दिखा दीजिये !"
पिता- "बेटा ! अब तुझे कैसे समझाऊँ .... ! शादी के उस बरस बरसात ही नहीं हुई .... खेत में कुछ पैदा ही नहीं हुआ, माथे पर साहूकार का कर्ज़ अलग.... रही सही आर्थिक हालत ऐसी बिगड़ी कि घर में..... एक बार तो ... खाने को कुछ था ही नहीं ! ... तुम्हारी माँ ने घर में रखे..... शगुन के उन थोड़े से पीले चावलों से..... जैसे तैसे कर तुम्हारा पेट भरा था ।"
पिता की भावुक बातों से जवान बेटे की आँखों में आँसू छलक आए थे..... । दूर खड़ी माँ भी संतोष भरी निगाहों से देख रही थी । पास आकर वह बेटे के सर पर हाथ फेरते हुए बोली - "सुनिए जी ! जमाना बदल गया है आजकल के बच्चे ....... ब्याह से अधिक ब्याह की वीडियो देखकर खुश होते हैं। मुन्ने की शादी की एच डी वीडियो बनवाना मत भूलियो !"
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