१४ अगस्त १९४७ को पाकिस्तान बना .... तब से वह पाकिस्तान ही है । हमारा देश उस दिन से आज तक 'भारत' एवं 'इण्डिया' के बीच के कन्फ़्यूज़न को लिए आगे बढ़ रहा है। कुछ को लगता है कि अंग्रेज़ जब इण्डिया को लूट सकते थे .... तो हमने थोड़ा इधर उधर कर लिया तो कौन सा गुनाह कर दिया। यदि....अँग्रेज़ इण्डिया के बजाय केवल 'भारत' को छोड़ जाते तो बात कुछ और होती ! शायद लोगों को ये अहसास होता कि ये देश अंग्रेजों का दिया हुआ नहीं बल्कि उन्हीं का था जो उन्हें पुनः मिल गया। ........ खैर आज देश में राजनैतिक रूप से दो धड़े सक्रिय हैं एक भारत माता की जय बोलने वाला तो दूसरा इससे परहेज़ रखने वाला। कांग्रेस, सपा, बसपा, जेडी, आरजेडी, वामपंथ आदि को 'भारत माता की जय' बोलने से परहेज़ होता है उन्हें 'जयहिन्द' बोलना अधिक convenient लगता है। उनकी मानसिकता में एक बात साफ है कि अँग्रेज़ 'भारतवर्ष' के दो टुकड़े कर के गये थे एक टुकड़ा पाकिस्तान है जो मुसलमानों का है दूसरा हिंदुस्तान है जो हिन्दुओं के लिए है.... रहा सवाल उन मुसलमानों का जो पाकिस्तान नहीं गए वे देश में अमानत के तौर पर हैं उनके हितों के रक्षा की चिन्ता करते हुए उन्हें अल्पसंख्यक का दर्ज़ा देकर अपने हिस्से के देश को पंथनिरपेक्ष बना दिया। इन सब के बीच अधूरा रह गया 'भारतवर्ष' कहीं खो सा गया तथा इण्डिया और अधिक उभर कर सामने आने लगा। ........... रही बात भारत माता के जय बोलने वालों की तो राजनैतिक दृष्टि से इस खेमे में भाजपा ने अधूरे भारतवर्ष में हिन्दुओं के ध्रुवीकरण का काम किया । यहाँ एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या भारत का मतलब उस उस देश से है जहाँ केवल हिन्दू बसते हैं ? ...... हो सकता है ये सही हो !...... भाजपा द्वारा हिन्दुओं के ध्रुवीकरण से भी इस बात को बल मिलता है।.......... जो भी हो भाजपा भारत को केवल 'हिन्दुओं' का देश कितना मानती है यह डिबेट का विषय होगा क्योंकि वह यूनिफ़ोर्म सिविल कोड की भी बात करती है। यूनिफ़ोर्म सिविल कोड एक ऐसे कानून का नाम है जो धर्म से इतर होता है और धर्म से इतर होने का मतलब सीधा सेक्युलरिज़्म यानि पंथनिरपेक्षता होता है । यह पंथनिरपेक्षता वही है जिसे कांग्रेस ने संविधान में प्रविष्ट किया है। तो क्या भाजपा भी उसी राह पर आगे बढ़ रही है जिस पर कांग्रेस चली थी ? ये सभी बातें देश के नागरिकों को अच्छी तरह से जांचनी एवं परखनी होगी । भारत एवं हिन्दू राष्ट्र के अंतर को समझना होगा । इन सबसे ऊपर आज सबसे बड़ी आवश्यकता जिस बात की है वह है संविधान से इण्डिया शब्द को हटाने की । इस शब्द को हटाकर सबसे पहले उस कन्फ़्यूजन को दूर करने की जरूरत है जो इण्डिया और भारत के बीच है। ...... इस कन्फ़्यूजन के हटने पर भारत अपनी उस पहचान को फिर से पा सकेगा । तब विश्व के सामने बेहतर तरीक़े से संदेश जाएगा कि भारतवर्ष की सीमा ठेठ अफगानिस्तान तक जाती है ।
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