"ये क्या देश चलाएँगे जो अपनी पत्नी को न सम्भाल सका" ये या इससे मिलती जुलती टिप्पणियाँ भाजपा पीएम उम्मीदवार श्री नरेंद्र मोदी के बारे में अक़सर सुनने को मिलती हैं। काँग्रेसी नेता इसमें कुछ ज्यादा आगे हैं। राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में ये बातें बचकानी लगती हैं, हो सकता है मोदी या अन्य कोई नेता पर व्यक्तिगत जीवन की टिप्पणी कर थोड़ी देर के लिए आत्मसंतुष्टि पा ली जाए।
वैवाहिक जीवन भारतीय संस्कृति का एक पवित्र संस्कार है इसे अंगीकार करने के लिए भारतीय समाज ने शास्त्रोक्त प्रमाणों के आधार पर परम्पराएँ एवं मान्यताओं का निर्धारण किया है। हमारे समाज की ये भी एक सच्चाई है कि जिसका वैवाहिक जीवन सफल रहा होता है उस व्यक्ति को धर्म अर्थ काम मोक्ष चार पुरुषार्थ के दृष्टिकोण से आदर्श माना जाता है।
खैर बात यहाँ हमारे नेताओं की हो रही है यदि नेताओं के चरित्र का निर्धारण उनके वैवाहिक जीवन के आधार पर ही किया जाना है तो हमें सभी नेताओं के व्यक्तिगत जीवन में झाँकना पड़ेगा। इस हिसाब से विवाह की परम्पराओं की कसौटी पर नेताओं को परखना होगा। अगर हम इन कसौटियों पर परखने बैठेंगे तो बहुत से नाम उजागर होंगे जिन्होंने वैवाहिक परम्पराओं को तोडा है फिर भी राजनीति के शीर्ष पर बैठे हैं।
मेरा मानना है कि राजनीति में किसी के वैवाहिक जीवन की खिल्ली उड़ाकर वोट माँगना वैवाहिक संस्कार का अपमान करना है। पिछले दिनों जिन नेताओँ ने चाहे वे कांग्रेसी ही क्यों न हों, ने श्री मोदी या अन्य किसी पर भी भद्दी एवं निहायत व्यक्तिगत टिप्पणियाँ की हैं लगता है उन्हें भारतीय समाज के संस्कारों से कोई लेना देना नहीं हैं। धन्यवाद।
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