हम व्यक्ति पूजक हैं सिद्धान्त पूजक नहीं। व्यक्ति के साथ हमारे सिद्धांत भी बदल जाते हैं। कहने को हमारे देश में लोकतन्त्र है। लोकतन्त्र सिद्धान्तों पर चलने का नाम है इसके लिए राजनैतिक दलों का निर्माण हुआ परन्तु वही ढाक के तीन पात। देश के बड़े राजनीतिक दल भी अपनी नैया किसी न किसी एक व्यक्ति के सहारे पार लगाने की सोचते हैं। व्यक्ति सफल हुआ तो सर आँखों पर नहीं तो.… अधिक कहने की आवश्यकता नहीं। आज पूरी भाजपा गुजरात मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी के पीछे है जबकि कांग्रेस राहुल गाँधी के। थोड़े समय पहले सब के सब अन्ना के दीवाने हो गए थे और ऐसे दीवाने हो गए कि उनमें महात्मा गांधी नजर आने लगे थे। इसी बीच अरविन्द केजरीवाल सुपर स्टार बन गए। एक जनाब को तो भूल ही गया बाबा रामदेव। मेरा मानना है कि जबतक हम व्यक्तियों के पीछे भागते रहेंगे तब तक हमारा असल विकास नहीं होगा। हम एक छोड़ दूसरे तारणहार को खोजते फिरेंगे। … हर बार नया तारणहार अपने अंदाज़ में एक नई राह पर ले जाएगा। हमारे जेहन में सवाल तारणहार का नहीं बल्कि सिद्धांतों का आना चाहिए। सिद्धान्त यदि एक होगा तो देश अधिक सार्थक विकास करेगा।
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