मूल रूप में हम भारतीय संस्कृति के लोग प्रकृति पूजक हैं | आपने देखा होगा कि किसी भी हवन-पूजन में प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का ही प्रयोग किया जाता है जैसे हवन में आम की लकड़ी, बंदनवार के लिए आम के या अशोक के पत्ते | इसी क्रम में पँचामृत तथा पंचगव्य भी महत्वपूर्ण हैं | पीपल के वृक्ष, अग्नि, वरुण अर्थात जल, वायु, पृथ्वी आदि हमारे लिए पूज्यनीय हैं। इन्हीं सब बातों से प्रेरित होकर लगभग हर घर में आपको तुलसी का पौधा मिलेगा। पौराणिक मान्यता अनुसार समुद्रमंथन में जब देवता विजयी हुए तो धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर समुद्र से बाहर आए। कलश से अमृत की जो बूँद धरती पर गिरी उसी से तुलसी के पौधे का जन्म हुआ। तुलसी लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती है इसीलिए भगवान् विष्णु के भोग में तुलसी के पत्ते रखे जाते हैं। आयुर्वेद में तुलसी के पौधे का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। चाय में तुलसी के पत्ते डालकर पीने से सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है। तुलसी का पौधा दिखने में बड़ा ही छोटा है परन्तु है बड़े ही काम का। अफसोस इस बात का है कि कतिपय धर्मावलम्बी इसे सिर्फ हिंदुओं के लिए ही पूज्यनीय मानते हैं। धन्यवाद।
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