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Monday, September 2, 2013

इन्सान पहले जंगलों में रहता था। भारत में भी जंगल थे। यहाँ भी इन्सान जंगलों में बसते थे। आग का आविष्कार हुआ, जंगली लोग हाथों में उजाले के लिए मशाल लिए चलने लगे। विज्ञान आया विकास हुआ। लालटेन से लेकर टॉर्च तक हाथों में आ गई। समय बदला साधन बदला। इंसानों ने पैदल चलते चलते घोड़े की सवारी की। घोड़े से उतर कर पेट्रोल चालित वाहनों में घूमने लग गया। खैर, पूरी धरती के बजाय यहाँ जिक्र हो रहा है केवल भारत के जंगलों में बसने वाले इंसानों का। सब कुछ बदल गया परन्तु भारतीय इन्सानों की, जब जंगलों में रहता था तब की चाल में एवं आज की चाल में कोई फर्क नहीं आया है, बेशक़ हाथों में उजाले के साधनों में समय के विकास के साथ बदलाव जरुर आ गया है। मेरी बात समझ में नहीं आती है तो थोड़ी देर के लिए वाहनों से भरी सड़क पर सूर्यास्त के बाद खड़े हो जाइये सब कुछ समझ में आ जाएगा। आपको महसूस होगा कि उजाले के साधनों ने कितना विकास कर लिया है। मैं बात कर रहा हूँ गाड़ियों की हेड लाइट्स की। एक से एक चमकदार एवं उजाले से भरपूर। अब ज़रा चलने के साधन देखिये। कहाँ टुक टुक पैदल और कहाँ हवा से बातें करती विज्ञानं का अजूबा कारें परन्तु दोनों के मध्य फँसे इन्सान पर गौर करिये। आपको वही जंगलों में बसने वाला इन्सान नजर आएगा जिसके चाल -चलन में तब से लेकर आज तक रत्ती भर फर्क नहीं आया है। धन्यवाद। 

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