Total Pageviews

Wednesday, August 14, 2013

सौ पन्नो की किताब

किताब की तरह है मेरी जिंदगी
रंग बिरंगे चित्रों से भरी तो
काले शब्दों को समेटे,
खुली हुई, हवा से फड़फड़ाते पन्ने,
कुछ उखड़ते, निरंतर बदलते,
सौ पन्नो की किताब, मेरी जिंदगी-  प्रियदर्शन शास्त्री





  

No comments:

Post a Comment