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Thursday, May 9, 2013

राजनैतिक चाह

     आज देश में कांग्रेस, सपा, बसपा, आर जे डी आदि कई ऐसी राजनैतिक पार्टियाँ हैं जो अपने आप को धर्म निरपेक्ष बताती हैं। अब सवाल ये है कि तथाकथित "धर्मनिरपेक्षता" जिसका अर्थ हम सब जानते हैं कहीं राजनैतिक दलों के अंदरूनी मामलों में तो नहीं आ गई है ? राजनैतिक दृष्टिकोण में धर्मनिरपेक्षता का सीधा अर्थ है अल्पसंख्यक एवं दलित जातियों के आधार पर चुनावी समीकरण। खैर, जो भी हो। जातिगत वोट बैंक के आधार पर चुनाव लड़ना एवं जाति तथा धर्म के आधार पर किसी दल द्वारा सत्ता में मत्री-पद के लिए नेता का चयनित करना दो दीगर बात है। मैं दूसरी वाली बात की चर्चा कर रहा हूँ। किसी राजनैतिक दल के द्वारा अपने आप को धर्मनिरपेक्ष दिखा कर जातिगत समीकरण के आधार पर चुनाव जीत लिया जाता है। अब दल में कौनसे नेता को कौनसा मंत्री पद मिलेगा ये बड़ा सवाल होता है। क्या ये भी तथाकथित "धर्मनिरपेक्षता" के आधार पर तय किया जाता है ? अगर राजनैतिक दलों के अन्दर राज्य या केन्द्र की सत्ता में मंत्री-पदों पर आसीन होने वाले नेताओं का चयन जाति  या धर्म के आधार पर होता है तो ये देश की जनता के साथ सबसे बड़ा धोखा है। देश की जनता को आप कितना भी जाति एवं धर्म में बाँट लीजिये परन्तु "भूख" एवं "रोजगार" ऐसे दो तथ्य हैं जो जनता को कभी बंटने नहीं देंगे। ज़रा गौर करिए सभी राजनैतिक दलो में आपको सभी जाति एवं धर्मों के समर्थक मिल जाएँगे। ऐसे में कांग्रेस समर्थक, जो सवर्ण हैं उन्हें आप धर्मनिरपेक्ष कहें और भाजपा के सवर्ण समर्थकों को सांप्रदायिक अथवा जो भाजपा समर्थक अल्पसंख्यक एवं दलित हैं वे साम्पदायिक और जो अल्पसंख्यक एवं दलित कांग्रेस के हैं वे धर्मनिरपेक्ष हो गए ....बात कुछ हजम नहीं होती। एक मजेदार बात और है देश में कई परिवारों में आपको माता कांग्रेस की समर्थक मिलेगी तो पिता भाजपा का और बेटा किसी और ही दल का। ऐसे परिवारों को आप क्या कहेंगे ? इसीलिए समर्थकों को आप धर्मनिरपेक्षता या साम्प्रदायिकता के बंधन में नहीं बाँध सकते हैं यहाँ सवाल सिर्फ दलों के आला नेताओं की नीयत का है। अगर उनके मन में अपनी जाती या धर्म के लोगों के हाथ में सत्ता होने की चाह है तो ऐसी चाह देश को विभाजित कर सकती है। देश में कहीं अपनी जाति या धर्म की सत्ता स्थापित करने की महत्वाकांक्षा तो नहीं पनप रही है ? सवाल आज का सबसे बड़ा ये है। अगर ये बात है तो पाकिस्तान एवं हममें कोई फर्क नहीं रहेगा। धन्यवाद। -प्रियदर्शन शास्त्री
   

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