कल राह में एक गरीब बड़ा ही खुश दिखाई दिया। वह गुनगुना रहा था। वैसे देश में हमने तो किसी गरीब को गुनगुनाते कभी नहीं सुना; अलबत्ता दुखड़ों का गायन करते जरूर देखा है अतः उस गरीब से उसकी खुशी का सबब पूछ ही लिया। वह बोला- "खुश तो बाबूजी हम इसलिए हैं कि कल रात सपने में हमने डागदर मनमोहन सिंह जी को देखा।" गरीब की बात सुन हम अचरज में पड़ गए। वाह ! सपने में भी देखा तो सीधे प्रधानमंत्री जी को।
"तुमसे कुछ बोले ?" हमने पूछा।
गरीब बोला- "नहीं साहब ! इशारों में ही उन्होंने सब कुछ समझा दिया। वैसे भी मनमोहन बाबू बोलते कहाँ हैं।" हमें फिर आश्चर्य हुआ पूछा- "उन्होंने ऐसा क्या तुम्हें समझा दिया ?"
गरीब ने आसमान की ओर चमकती हुई आँखों से ताक़ते हुए कहा- "साहब ! अब देश में सस्ताई आ जाएगी। और तो और कल रात ही को तो हमने ख्वाब देखा और सुबह सोना सस्ता भी हो गया।"
हमें गरीब के चहरे पर एक अजीब सा संतोष दिखाई दिया। मन में खयाल आया कि ये गरीब बेचारा बावला हो गया है इसे पता ही नहीं है कि दाल, चावल, नमक के दाम थोड़े ना कम हुए हैं। सोने के दाम गिरे हैं इससे इसे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
हमने गरीब से कहा- "भाई ! सोने के दाम घटने से तुम्हें क्या फायदा ?"
गरीब हँसकर कर बोला- "बाबूजी ! काहे हम गरीबों का मजाक उड़ाते हो। सोने के दामों से हमें क्या लेना देना। हम तो बस ये देख रहे थे कि आज मनमोहन सिंह जी ने अमीरों की सुनी है। कल हम गरीबों की भी शायद सुन, दाल चावल नमक के दाम गिरा दे।" ........-प्रियदर्शन शास्त्री
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