आज संध्या को मोहल्ले की पंक्चर पकाने वाले की दूकान पर गया तो वहाँ एक आठ-नौ साल के बालक ने खड़े खड़े ऊँचा मुँह कर "पों पों पोंपों पों" मधुर गीत का जब आलाप आरम्भ किया तो पंक्चर पकाने वाले ने भी भाव विव्हल हो दो चार अमृत वचन बालक को कह डाले। वो ठहरा बेचारा पुराना आदमी। बोला- क्या क्या गाने आ गए साहब ! हमने कहा भाई ! इसमें इसका क्या दोष, आजकल हर शादी ब्याह में "पों पों पोंपों पों" हो रहा है और शादी ब्याह में ही क्यों जब से गेस सिलेंडर महंगा हुआ है देश का हर गरीब बेचारा "पों पों पोंपों पों" ही कर रहा है। पेट में रोटी तो है नहीं खाली पेट में हवा जो भरी है। "पों पों" नहीं होगा तो क्या होगा। खैर जो भी हो हम भावुक क़िस्म के लोग हैं भवनाओं में बह जाते हैं। दिमाग से कम दिल से ज्यादा सोचते हैं। हर कोई हमें कहीं भी आसानी से चाले लगा देता है। थोड़े दिन पहले बरक़त बरसने के चक्कर में हमने अपने पर्स खुले छोड़ दिए थे। बरकत तो बरसी नहीं उल्टे हमारे प्रधानमन्त्री जी नज़र हमारे पर्स को लग गई। बाबा रामदेव आए। वे योग सिखा गए। योग-वोग तो याद रहा नहीं अलबत्ता बाल घने करने के चक्कर में जहाँ तहाँ आज भी कुछ लोग नाख़ून से नाख़ून रगड़ते दिखाई दे जाते हैं। सालों पहले सलमान साहब ने "तेरे नाम" वाली हेयर स्टाइल देश के युवाओं को दी थी। आपको याद होगी ! लम्बे लम्बे बाल एवं बीच में माँग। मांग ऐसी निकली कि सर के बीच के बाल ही उड़ गए, हालाँकि सलमान साहब ने खुद की हेयर स्टाइल तो दसियों बार बदल डाली। जो भी हो एक समय था हमारे फिल्म उद्योग ने "तुझको पुकारे मेरा प्यार... आजा मैं तो खड़ा हूँ तेरी राह में" जैसे गीत गुनगुनाने को दिए थे। गीत गुनगुनाते थे तो प्यार का जवाब प्यार में मिलता था। आज एक बालक जब ऊँचा मुँह कर "पों पों पोंपों पों" को आलापता है तो दूसरा बालक आमिर भाई की "थ्री इडियटस" की तरह तोहफा कबूल करवाता नज़र आता है। वाह हम तो धन्य हो गए। धन्यवाद। - प्रियदर्शन शास्त्री

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