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Monday, December 24, 2012

सर्वग्राह्यता एवं सर्वमान्यता

   दलीय राजनीति एवं नेताओं की गिरती साख की स्थिति में भारतीय राजनीति के परदे पर आज एक भी नेता चाहे किसी भी दल का हो, ऐसा नजर नहीं आता है जिसका व्यक्तित्व एवं कृतित्व राष्ट्रिय स्तर पर सर्वमान्य एवं सर्वग्राह्य हो। महात्मा गाँधी सर्वग्राह्य थे इसीलिए वे बिखरी हुई आजादी की लड़ाई को एक सूत्र में बांध पाए थे । सर्वग्राह्यता एवं सर्वमान्यता दोनों राष्ट्रिय एकता के पहलू हैं। राजनैतिक दृष्टि से एक नेता की ये दोनों खूबियाँ देश को एक रखने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती हैं। पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी में दोनों खूबियाँ हैं। ये बात अलग है कि उम्र के तकाजे के कारण वे राजनीति से वर्तमान में दूर हैं। मेरी दृष्टि में वे देश के आखिरी नेता हैं जिनका व्यक्तित्व राष्ट्रिय स्तर का है। आज भारतीय राजनीति राष्ट्रिय स्तर के बजाय गली मोहल्ले की राजनीति के दौर से गुजर रही है जिसका मैदान हमारी संसद बनी हुई है। ऐसे में अटल जी जैसे स्वच्छ छवि वाले नेताओं की आवश्यकता महसूस होती है । उनके जन्म दिवस पर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना हम सब करते हैं। धन्यवाद। 

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