बलात्कार मात्र एक शारीरिक अपराध है जो किसी पुरुष द्वारा महिला पर कारित किया जाता है। मुझे एक बात समझ में नहीं आई कि इस अपराध को हमारे समाज ने महिलाओं की इज़्ज़त के साथ क्यों जोड़ दिया है ? क्या महिलाओं की इज़्ज़त का एक मात्र पहलू ये ही शेष रह गया है ? इस अपराध के लिए मीडिया भी धड़ल्ले से "इज़्ज़त लूट ली" "इज़्ज़त के साथ खिलवाड़" "इज़्ज़त उतार दी" आदि जुमले इस्तेमाल करता है। हमारी ये कैसी मानसिकता है ? अरे भाई कोई दरिन्दा किसी स्त्री के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती कर चला जाए तो इसमें किसी स्त्री को मात्र शारीरिक चोट पहुँचती है, इसमे इज़्ज़त की बात कहाँ से आ गई ? शारीरिक चोट अथवा शारीरिक रूप से जबरदस्ती करना अलग बात है, इज्जत अलग बात है। क्या महिलाओं की इज़्ज़त केवल इस बात पर ही टिकी है ? ज़रा अपना नज़रिया बदलिए भाई ! एक बात और कहीं ऐसा तो नहीं समाज भी बलात्कार की घटना को पीड़ित स्त्री के साथ जीवनपर्यन्त जोड़े रखने के लिए उसे "इज्जत" से जोड़ कर देखता है ? क्योंकि कहा जाता है कि शरीर के घाव वक्त भर देता है परन्तु खोई इज्जत पाना बड़ा कठिन है। धन्यवाद।
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