पी चिदंबरम साहब ने कहा था कि गैस पर मिलने वाली सब्सिडी ग्राहक के खाते में सीधे ट्रांसफर कर दी जाएगी। अब ये काम कोई जादू से तो होने वाला है नहीं। कोई न कोई प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी। कुछ भी कर लो कुछ अड़चने तो अपरिहार्य हैं। मान लीजिए मेरे पास वो सब औपचारिकता पूरी हैं जो निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार एक ग्राहक के पास होनी चाहिए इसके बावजूद सब्सिडी ट्रांसफर में निम्न परेशानियाँ ग्राहकों को झेलनी ही पड़ेंगी-
1- उक्त कार्य का विभाग - विभाग द्वारा औपचारिकताओं के नाम पर ग्राहकों को परेशान किया जाना।
2- गैस एजेंसी द्वारा विभाग को सही जानकारी उपलब्ध कराने में देरी।
3- सरकारी खजाने ट्रेज़री से पैसा रिलीज़ होने में देरी या पैसा न होने का बहाना।
4- ग्राहकों के मध्य आपस में सब्सिडी वाले सिलेंडरों की खरीद-फरोक्त का धंधा। ऐसे में सिलेंडरों के सीरियल नम्बर्स की समस्या।
5- विभाग द्वारा किसी भी मुद्दे पर ओब्जेक्शन कर सब्सिडी देने में देरी ।
इन सब समस्याओं से लोग खाना पकाने के अन्य तरीकों के इस्तेमाल के लिए मजबूर होंगे। ऐसे में सिलेंडरों की खपत में भरी गिरावट आएगी। जो परिवार एक या दो सदस्यों वाले हैं वे अपने हिस्से के बाकी बचे सब्सिडी वाले सिलेंडर अपने मिलने वालों को बेचेंगे। सरकार द्वारा जो पॉलोसी अपनाई गई है उसका हश्र न तो गैस कंपनियों के पक्ष में है न ही ग्राहकों के। एक उदाहरण देता हूँ - मान लीजिये 100 परिवारों की एक बस्ती है। उसमें जायज और नाजायज दोनों मिलाकर साल के 1000 सिलेंडर बिकते हैं। सरकारी पॉलोसी के अनुसार एक परिवार को वर्ष के 7 सिलेंडर मिलेंगे, इस हिसाब से 100 x 7 = 700 सिलेंडरों का कोटा उस बस्ती के लिए अधिकृत हो जाएगा। सरकारी पॉलोसी के बाद नाजायज सिलेंडरों का बिकाव बंद हो जाएगा तो इस उदहारण में कंपनी को 300 सिलेंडरों का घाटा होगा। सस्ते सिलेंडर तो लोग खूब खरीदते हैं पर ज्योहीं दाम बढ़ेंगे खरीद में गिरावट आएगी। लोग ऑल्टरनेट तरीके खोज लेंगे। आज तकनीकी दृष्टि से इन्डक्शन आदि साधन उपलब्ध हैं। सरकार ये भूल रही है कि सिलेंडरों की सेल गावों में बढ़ी है वो सेल महंगाई के कारण फिर घट जाएगी। हो सकता है मेरी बात में तथ्यात्मक कमी हो पर इतना तय है की सेल घटेगी ही । धन्यवाद ।
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