देश की ९०% जनता में एक बड़ा भाग ईमानदार है, एक भाग बेईमानी करना नहीं चाहता तथा एक में बेईमानी करने की हिम्मत नहीं। अब बात करते हैं बाक़ी बचे १०% की। ये भाग पूरी तरह से बेईमान है। इस भाग के लोग न तो देश की व्यवस्था की पालना करना चाहते हैं, न ही क़ानून की। इस भाग के व्यक्ति को पता है कि बाक़ी के ९०% वाले भाग के लोगों में इतनी ताक़त नहीं है कि उसे बेईमानी करने से रोक सके | इसी का फ़ायदा उसे मिलता है। एक उदाहरण लेते हैं- आपकी कॉलोनी में एक खाली लावारिस भूखंड है। इस पर कॉलोनी का एक व्यक्ति आकर भूखंड पर नाजायज़ कब्जा जमा लेता है। ये व्यक्ति १०% में से है बाक़ी कॉलोनी वाले ९०% में से हैं। उस कब्ज़ेदार को ये पता है कि बाक़ी बचे कॉलोनी वाले उसके विरुद्ध कुछ नहीं कर सकते, ज़्यादा से ज़्यादा क़ानून में जाएँगे तो उसे तो सम्हाल लेंगे। अगर हमारे देश में ९०% के लोगों के हाथ मजबूत बनें तो देश से भ्रष्टाचार मिटेगा। आज देश का क़ानून तो अच्छा है पर वो १०% वालों के हाथ में है। इंतज़ार है तो बस ९०% के हाथों में क़ानून आने का। धन्यवाद।
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