Total Pageviews

Tuesday, October 30, 2012

"जेबतराशगिरी"

आज की राजस्थान पत्रिका में छपी खबर के अनुसार एक 11वीं कक्षा के विद्यार्थी ने अपनी माँ की निर्मम हत्या कर दी। कारण, माँ द्वारा मोबाइल रखने एवं घूमते फिरने सम्बन्धी उलाहना देना। घटना ब्यावर राजस्थान की है। आज हर बालक के हाथ में आपको मोबाइल नज़र आ जाएगा। बड़ों के मुकाबले मोबाइल के प्रति बालकों में अधिक दीवानगी दिखाई देती है। बालकों के हाथ में मोबाइल दिया जाए या नहीं ये हमेशा से बहस का मुद्दा रहा है। आज देश में अलग अलग कंपनियों के कई तरह के मोबाइल मिल रहे हैं। मोबाइल कंपनियों ने भी पिछले सालों में बहुत अधिक मुनाफा कमाया है। हमने भी हवा में बातों ही बातों में मोबाइल कंपनियों को अरबों का राजस्व दे डाला है और रोज दे रहे हैं। प्रायः सार्वजनिक स्थानों पर एक जुमला लिखा मिलता है "जेबक़तरों से सावधान।" सभी ने पढ़ा होगा। क्या आपने कभी ये सोचा है कि एक जेबकतरा आपके अपने जेब में भी रखा है। दिन भर में अवांछित सर्विसेस तथा एसएमएस के जरिये करोड़ों रुपये लोगों की जेब से मोबाइल चुपके से कब चट कर जाता है पता ही नहीं चलता ? चाट-पकौड़ी की दूकान पर चाट खाने के बाद एक आम आदमी एक एक आनी-पाई का हिसाब कर पैसा देता है परन्तु क्या कभी किसी ने मोबाइल कंपनी से हिसाब पूछा है कि भाई मेरे पचास रुपये के बैलेंस में से फालतू रूपये कितने और क्यों कट गए ? इसका सीधा कारण है कि चाट देने वाला तो आपके सामने खड़ा होता है परन्तु मोबाइल सर्विस प्रदाता सामने नहीं होता है। देश में ये एक नया ट्रेंड चला है "छुप कर व्यापार करो" ताकि लोग पकड़ न सके। आप खुद अपने पर लीजिये- आपने जिस कंपनी के मोबाइल का कनेक्शन ले रखा है उसका ऑफिस कहाँ है, आपको मालूम है ? आप में से कईयों को नहीं पता। इसी प्रकार इंश्योरेंस, मेडिक्लेम, फाइनेंस आदि कई प्रकार की अदृश्य कम्पनियाँ हैं जो केवल विज्ञापनों में दिखाई देती हैं। उसका मालिक कौन है आप ढूंढ़ते रह जाओगे ? खैर, अब सवाल ये है कि यों आप और हम कब तक ठगे जाते रहेंगे ? -प्रियदर्शन शास्त्री 

No comments:

Post a Comment