Total Pageviews

Monday, September 17, 2012

चमत्कारी लड्डू

      एक गाँव में एक हलवाई रहता था | वह बहुत ही स्वादिष्ट लड्डू बनाता था, इस कारण उसके हाथ के बने लड्डू खूब बिकते थे | लड्डू बेचकर उस हलवाई ने काफ़ी धन भी अर्जित कर लिया था | एक बार पड़ौसी देश के कुछ व्यापारी उस गाँव में आए उन्होने उस हलवाई की दुकान पर गोल-गोल एवम् मीठे लड्डू खाए | उन्हें वे लड्डू बड़े स्वादिष्ट एवम् मजेदार लगे | उन्होंने उस हलवाई से लड्डू बनाने की विधि पूछी | उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ कि इतनी साधारण सी सामग्री से इतनी मजेदार खाने की चीज़ बनाई जा कर लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं | व्यापारियों को पैसा कमाने का नशा था । उन्होनें ने तुरंत अपने देश में जा, एक मशीन बनाकर लड्डूओं का निर्माण आरंभ कर दिया साथ ही एक शानदार दुकान उस हलवाई की दुकान के सामने खोल, लड्डू बेचना शुरू कर दिया | गाँव वालों ने नई दुकान के लड्डू खाए पर उन्हे मज़ा नहीं आया | व्यापारियों ने लड्डूओं को सुंदर पैकिंग में बेच कर देखा पर वे गाँव वालों को ज़्यादा आकर्षित नहीं कर पाए | व्यापारी अपने पैर जमाना चाहते थे। उन्हें लड्डुओं में अच्छी  खासी कमाई दिख रही थी। अब की बार व्यापारियों ने दिमाग़ एवं चालाकी से काम लेने की सोची |  गाँव में एक बूढ़ा मगर आकर्षक व्यक्तित्व का धनी एक सर्वगुण संपन्न आदमी रहता था | जिसका नाम लाखनसिंह था।  व्यापारियों ने देखा कि लोग उसकी इस खूबी के कारण उसकी नकल करते थे उसे अपना आदर्श मानते थे परन्तु किसी बीमारी के कारण उसे मीठा खाना मना था अतः उसने कभी हलवाई की दूकान के लड्डू नहीं खाए थे। व्यापारियों ने सोचा कि अगर ये बूढ़ा आदमी उनकी दूकान के बने लड्डू एक बार खा ले तो गाँव वाले भी इसकी देखादेखी लड्डू खाना आरम्भ कर देंगे | व्यापारियों ने लाखनसिंह से बड़ी विनम्रता से उनकी दुकान के बने लड्डू खाने को कहा | वह व्यापारियों की चाल समझ नहीं पाया | हालाँकि लाखन ने मना किया किन्तु वह उनकी विनम्रता के पीछे छिपी चालाकी के आगे मजबूर था | आख़िरकर उसने व्यापारियों की दुकान से लड्डू लेकर खा ही लिए | गाँव वालों ने जब लाखन को लड्डू खाते देखा तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ | उन्होंने सोचा कि नई दुकान के लड्डूओं में कोई खास बात ज़रूर है इसीलिए लाखनसिंह ने आज पहली बार लड्डू खाए हैं, गाँव वाले  खुशी से झूम उठे, सबने उसे चारों तरफ से घेर लिया | लाखनसिंह भी अपने चारो तरफ गाँव वालों को यों अचानक देख अत्यंत खुश था | वह इसे लड्डुओं का चमत्कार समझ रहा था । अब वह भी गाँव वालों को बढ़ चढ़ कर ऐसे चमत्कारी लड्डू खाने की सलाह दे रहा था। हलवाई बेचारा अपनी दूकान पर बैठा गाँव वालों की नादानी को मूक दर्शक बना देख रहा था।- Priyadarshan Shastri

1 comment: