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Saturday, September 15, 2012

सी.बी.आई.

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   सी.बी.आई. यानी सेंट्रल ब्यूरो आफ इनवेस्टीगेशन | काफ़ी चर्चित नाम है | किसी भी चर्चा में आलोचना का एक विषय | सर्व प्रथम इसका अस्तित्व सन् १९४१ में द्वितीय विश्व युद्ध के समय आया था तब इसे एस. पी. ई. अर्थात "Special Police Esteblishment" नाम दिया गया था | इसकी स्थापना भारत सरकार (ब्रिटिश शासन के अंतर्गत) द्वारा की गई थी | इसका उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वॉर एंड सप्लाई डिपार्टमेंट ऑफ इंडिया से लेनदेन में होने वाले भ्रष्टाचार एवम् रिश्वतखोरी की जाँच करना था | द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद ये महसूस किया गया कि केंद्र के कर्मचारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार एवम् रिश्वत प्रकरणों को निपटानें के लिए एक एजेंसी की ज़रूरत है अत: १९४६ में Delhi Special Police Establishment Act लाया गया | हालाँकि देश में पुलिस एक्ट 1861 के प्रचलित होने के बावजूद एक स्पेशल पुलिस फ़ोर्स की आवश्यकता केंद्र सरकार को लगी थी । एस. पी. ई. के सुपरिटेंडेंस को इस अधिनियम के द्वारा केंद्र के गृह विभाग के अंतर्गत कर दिया गया | बाद में इसका अधिकार क्षैत्र भी बढ़ा दिया गया | इसके क्षैत्राधिकार में केंद्र शासित राज्यों के कर्मचारियों को भी शामिल कर दिया गया था | १ अप्रैल १९६३ को गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव से एस. पी. ई. का नाम सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन जिसे संक्षेप में हम सी. बी. आई. कहते हैं बदल दिया गया | सी. बी. आई. पहले केवल आर्थिक भ्रष्टाचार एवम् रिश्वत के प्रकरणों पर ही जाँच कर सकती थी बाद में इसमें अन्य विधियों के अंतर्गत दंडनीय अपराधो की जाँचों को भी शामिल कर लिया गया | इस प्रकार इसके दो मुख्य भाग हैं एक में आर्थिक मामले आते हैं दूसरे में अन्य | इसके प्रथम डायरेक्टर श्री डी. पी. कोहली थे | निदेशक आईपीएस लेवल के अधिकारी को बनाया जाता है । सी. बी. आई. को किसी प्रकरण की जाँच के लिए वे सब अधिकार प्राप्त हैं जो किसी भी राज्य की पुलिस को है | सी. बी. आई. के संबंध में कुछ बातें समझने की जरुरत हैं १- यह संविधान के अंतर्गत गठित स्वतंत्र एवं स्वायत्त संवैधानिक संस्था नहीं है जैसे चुनाव आयोग या न्यायपालिका आदि | २- यह केंद्र के गृह मंत्रालय के निर्देश या उच्च तथा उच्चतम न्यायलय के आदेश पर ही किसी प्रकरण में अपने क़दम आगे बढ़ाती है | ३- यह केंद्र के गृह विभाग के अंतर्गत मात्र एक जाँच एजेंसी है। ४- सी.बी.आई. गृह मंत्रालय के ज़रिए सीधे प्रधानमंत्री के प्रति ज़िम्मेदार है | 5- केंद्र द्वारा समय समय पर इसके अधिकार क्षेत्र में बदलाव किया जा सकता है। 6- सूचना के अधिकार- RTI से सी. बी. आई.को छूट मिली हुई है।
      सी.बी.आई. की आलोचना का मुख्य कारण है इसका स्वायत्त एवम् स्वतंत्र ना होना है | चूँकि इस पर गृह मंत्रालय के ज़रिए सीधा प्रधानमंत्री का नियंत्रण होता है इस कारण उन मामलों में जिनसे सरकार की साख गिरने का डर रहता है, निष्पक्ष जाँच नहीं होने की पूरी संभावना रहती है | इसके अलावा सत्ताधारी लोगों से संबंधित प्रकरणों में भी जाँच प्रभावित होती है | एक प्रकार से सी.बी.आई. केंद्र सरकार के हाथ की एक एजेंसी मात्र बन कर रह गई है | धन्यवाद ।

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