एक बार फिर न्यायपालिका ने देश में लोकतंत्र की रक्षा की है | आज मुंबई उच्च न्यायालय ने स्वमोटो कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को जमानत दे कर ये जतला दिया कि हमारे देश में जनतंत्र मौजूद है | आरंभ से ही देखने में आ रहा है कि भ्रष्टाचार से संबंधित हर प्रकार की अभिव्यक्तियों के प्रति सरकारों के रवैये द्वेषपूर्ण ही रहे हैं चाहे वे टेलीविजन मीडिया के मध्यम से हों या प्रिंट मीडिया के मध्यम से हों या जन आंदोलनों के मध्यम से हों अथवा सोश्यल नेटवर्किंग साइट्स के मध्यम से हों, हर बार, खासकर केंद्र सरकार की ओर से तो कई बार इन्हें 'बैन' करने की बात कही जा चुकी हैं | हालाँकि अभिव्यक्तियाँ मर्यादाओं में होनी चाहिए जैसा कि आज ही माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखा जाना चाहिए | कार्टूनिंग अपनी बात रखने का एक रोचक मध्यम है पर मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय चिन्हों पर कटाक्ष करने से केवल गुस्सा प्रदर्शित किया जा सकता है असल मुद्दे की बात नहीं| सही लड़ाई तो लोकतंत्र के दायरे में रह कर लोकतांत्रिक तरीक़े से ही लड़ी जा सकती है| असीम त्रिवेदी द्वारा जो कुछ किया गया है उससे धारा १२४ ए आइ पी सी के अनुसार सरकार के प्रति कितना " भड़काऊ" होता है ये न्यायालय तय करेगा | उन पर जो चार्जेज़ लगाए गए उनसे भी अब तो महाराष्ट्र सरकार भी पीछे हट रही है | खैर जो भी हो आज देश में एक बार फिर न्यायपालिका ने उदाहरण प्रस्तुत किया है कि जनतंत्र के नाम पर सरकारें निरंकुश नही हो सकती हैं | धन्यवाद |
- Priyadarshan Shastri
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