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Tuesday, August 14, 2012

'भारत' तो अभी आजाद होना बाक़ी है ।

१५ अगस्त, इसी तारीख पर हमारे देश से ब्रिटिश शासन का अंत हुआ था | सभी को हार्दिक बधाई | हमारे मित्र बोले क़ि भाई इस दिन हम आज़ाद हुए थे | हमने कहा कि हम गुलाम कब थे जो आज़ाद हो गए ? हम तो १५ अगस्त १९४७ से पहले भी आज़ाद थे और आज तक आज़ाद ही हैं | हालाँकि ये बात एकदम न तो गले उतरेगी और न ही समझ में आएगी | एक किस्सा याद आ गया -घर में एक चोर रोज घुस आता था | हर बार कुछ न कुछ क़ीमती सामान उठा कर ले जाता था | घर की रखवाली  पड़ौस के गाँव का ही एक आदमी करता था | घर के लोगों में से कुछ बोले कि आज से घर क़ी रखवाली हम करेंगे | योजना कामयाब हुई ।  दूसरे दिन देखा चोरी नहीं हुई | सब खुश थे | सब ने चोर से आज़ादी का जश्न मनाया | कुछ काल बाद व्यवस्था बदल गई थी । घर के सदस्य बदल गए थे । घर के लोगों को लगने लगा कि चोरी नहीं होते हुए भी घर के कीमती सामान कम होते जा रहे हैं| पता लगाया गया | मालूम हुआ कि चोरी तो अभी भी हो रही थी | तरीक़ा बदल गया था | चोर अब घर नहीं आ रहा था बल्कि जो सदस्य  घर की रखवाली कर रहे थे वे खुद ही चोर के घर कीमती समान पहुँचा रहे थे | उस घर के अन्य सदस्यों के लिए स्थिति में कोई बदलाव नहीं था | 
         हमारे देश का भी यही हाल है | अंग्रेजों के जाने के बाद क्या हमने हमारी प्रकृति एवम् स्वभाव के अनुसार देश चलाने की रीति नीति बनाई है ? क्या हमारे देश के किसानों के हालात बदल गए ? क्या आज  परिश्रम एवम् ईमानदारी से काम करने वाले आज़ाद हैं ? क्या हमारी सोच बदली ? क्या हमने देश में होने वाले अपराधों की सज़ा को देश के लोगों की प्रकृति के अनुसार बदली ? 
आज ६५ वर्ष बाद ये लगने लगा है कि हम आज़ाद इसलिए हुए कि कब मौका हाथ लगे और हम मुफ़्त के माल को हड़प जाएँ | हम आज़ाद इसलिए हो गए हैं कि उपलब्ध संसाधनों का बे-तहाशा दोहन कर खा पी जाएँ | हम आज़ाद हो गए गाँधी जी के सिद्धांतों से | हम आज़ाद इसलिए हो गए कि अपने जीवन मूल्यों को ताक में रख कर उपभोक्ता वादी संस्कृति में जियें | आज़ाद इसलिए हुए कि ६५ साल बाद भी हम सिर्फ़ चार कांस्य एवम् दो रजत पदक जीतें और नाचे गाएँ | खैर बहुत कुछ है कहने को | 
        मेरे दृष्टिकोण से देखो तो हम १५ अगस्त १९४७ से पहले भी आज़ाद ही थे | तब अंग्रेज लूट जाया करते थे अब घर के ही लूट रहे हैं | 
     जो भी हो 15 अगस्त को अंग्रेज देश से चले गए थे, आइए इसी खुशी में 'डांस इंडिया डांस' करें । 'भारत' तो अभी आजाद होना बाक़ी है ।  धन्यवाद | -Priyadarshan Shastri   

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