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Monday, August 13, 2012

एक अनुशासित प्रदर्शन

बाबा रामदेव
कल बाबा रामदेव ने संसद तक के लिए एक विशाल रैली निकाली | हज़ारों लोग शामिल हुए | एकदम अनुशासित एवम् सयंमित | दो दिन पूर्व मुंबई मे भी प्रदर्शन हुआ था | दोनों में शामिल लोगों के अनुशासन को देखा जा सकता है | किसी भी वर्ग विशेष को बचाने के लिए दोष शरारती तत्वों के दे देना आसान है | इसी को राजनीति कहते हैं | बात करते हैं केंद्र सरकार की | बिल्ली को देख कबूतर आँख मींच लेता है तथा समझने लगता है क़ि बिल्ली है ही नहीं | आँख बंद कर लेने से बिल्ली का अस्तित्व नहीं मिट जाता | केंद्र सरकार की हालत भी उस कबूतर जैसी ही थी | किसी ने पूछा कि कल के धरना प्रदर्शन से क्या मिला | बहुत कुछ मिला | एक सवाल सामने आया कि क्या सभी सांसदों का विदेशों में काला धन जमा है ? क्या सभी बेईमान हैं ? नहीं | बाबा के आंदोलन से एक सीख मिली कि ईमानदार सांसदों के ज़रिए संसद तक अपनी बात पहुँचाई जा सकती है | एक दृष्टि मिली कि संसद में भी ईमानदार लोग भी बैठे हैं | चंद मुट्ठी भर लोगों ने देश की संपूर्ण व्यवस्था को बिगाड़ रखा है ये वो लोग हैं जो सत्ता में बैठे लोगों से सांट-गाँठ कर अपने हिसाब से रीतिनीति बनवा लेते हैं | ताज़ा उदाहरण ग़रीबों को मोबाइल देने की योजना | क्या आपने सोचा है कि ६० लाख परिवार में कितने मोबाइल दिए जा सकेंगे ? एक परिवार में आज अमूमन चार मोबाइल तो होते ही हैं इस प्रकार ६० लाख को चार से गुना कर के देखिए | फिर देश में एक घोटाला तैयार | सत्तारूढ़ दल के तमाम समर्थकों को भी इस बात को सोचना चाहिए | बाबा या अन्ना की मज़ाक़ उड़ा देने से या उन्हें अपशब्द कह देने से भ्रष्टाचार का मुद्दा ख़त्म नहीं हो जाता | आपको किसी भी दल विशेष का समर्थक होने में कोई बुराई नहीं है परंतु ऐसा समर्थक कतई नहीं बनना चाहिए कि आप अपने पार्टी के आकाओं को मज़े करते देखते रहें तथा आप खाली हाथ आनंदित होते रहें | धन्यवाद |
-Priyadarshan Shastri

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