कहा जाता है, काँटे को निकालने के लिए काँटा ही काम आता है | जिस देश के संवेदनहीन नेताओं को भूख से आत्महत्या करते किसान नज़र नहीं आते, दो वक्त की रोटी के लिए जूझते ग़रीब नज़र नहीं आते, महँगाई के मारे मध्यमवर्गी लोग नज़र नहीं आते, जहाँ आधे देश को अंधेरे में डूबा हुआ छोड़, ऊर्जा मंत्री को गृह मंत्री बना दिया जाता है ऐसे में अन्ना हज़ारे तथा उनकी टीम का आमरण अनशन कैसे नज़र आता ? भ्रष्टाचार का काँटा बहुत गहरा गड़ा हुआ है | राजनेताओं के शरीर में काँटा ऐसी जगह गड़ा है कि शर्म से दिखा भी नहीं सकते | परंतु दर्द का अहसास भयंकर है | हालत ये है कि नेतागण सीधी तरह बैठ नही पा रहे हैं | ऐसे में अन्ना काँटा निकालना चाहते हैं | अन्ना ने बहुत दिनों तक मरहम काम में लिया अब मरहम से काम नहीं चलेगा | अन्ना को काँटा निकालने के लिए काँटा हाथ में लेना ही पड़ेगा | काँटा निकालने से पहले थोड़ी चिल्ला-चोट तो मचेगी ही |

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