एक सवाल जेहन में आता है कि क्या अब देश का प्रधानमंत्री गैर राजनीतिक होना चाहिए ? ये बात इसलिए विचारणीय है कि देश की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी होने के नाते कांग्रेस ने हर बार अपनी मर्ज़ी से राष्ट्रपति चुनवाया, अपनी मर्ज़ी का प्रधानमंत्री बनाया | मुद्दा यहाँ कांग्रेस नहीं है | मुद्दा यहाँ प्रधानमंत्री तथा उसके मंत्रिमंडल के निर्णयों मे आज़ादी का है | डॉ. मनमोहनसिंह को हम प्रधानमंत्री के रूप मे देख चुके हैं | सामान्य व्यक्तित्व के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री भी थे परंतु पाकिस्तान के साथ युद्ध में उनके निर्णयों की बदौलत हमारी सेना आधा पाकिस्तान पार कर गई थी | ऐसा इसलिए संभव हुआ कि वे अपने निर्णयों के लिए स्वतंत्र थे | भविष्य में राहुल गाँधी भी एक अच्छे प्रधानमंत्री हो सकते हैं यदि वे गैर राजनैतिक होकर जनता की पसंद हों | वे अच्छे हैं परन्तु एक राजनैतिक दल के व्यक्ति होने के नाते पिछले उत्तरप्रदेश के चुनाव में जनता ने उन्हे पूरी तौर से नकार दिया था |
आज जिस प्रकार राष्ट्रपति के लिए जनता की पसंद एक तरफ़ा रह गई उसी प्रकार राहुल गाँधी को भी जनता की इच्छा को दरकिनार करके प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है | फिर एक कमजोर एवम् अनुभवहीन प्रधानमंत्री हमार सामने होगा | अत: स्वार्थ भरे राजनैतिक दलों के बीच हमारे देश का प्रधानमंत्री मात्र कठपुतली बन कर रह गया है | क्या आपको लगता है कि निजी स्वार्थों में डूबे लोगों से घिरे सारे राजनैतिक दल देश को आगामी चुनाव में एक स्वतंत्र प्रधानमंत्री दे सकेंगे ? धन्यवाद ।
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