Total Pageviews

Monday, November 14, 2011

Children's Day


            'हम भी अगर बच्चे होते, नाम हमारा होता बबलू टब्लू, खाने को मिलते लड्डू' ये लाइन पुराने प्रसिद्ध गीत की है जिसे रफ़ी साहब ने गाया था | काश हम बड़े न हुए होते | छोटे ही रहते तो बहुत कुछ मिल रहा होता | माँ की गोद, मस्ती भरा जीवन, स्कूल का बस्ता, लारी की कुल्फि, गली में खेलना, देर से घर आना, पिता का डांटना, माँ का समझाना, दोबारा ऐसे न करने की कसमें खाना, और फिर दिन का अंत | यही सब कुछ कहानी है बचपन की | इस कहानी में न राग है न द्वेष है, न छल
है न कपट है बस है तो एक निश्चिंत, मस्ती भरा कोरा जीवन | फिर हम बड़े हो गये | वही सब कुछ लिख दिया गया जिसे पढ़ कर हमारे मन से अचानक उक्त गीत की पंक्तियाँ निकल पड़ी |  
            आज बाल दिवस है, पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिन | बाल दिवस मात्र बालकों के लिए ही नहीं है बल्कि बड़ों के लिए भी है अपने बीते बचपन को याद करने के लिए | आईये कुछ पल बचपन की याद में खो जाएँ |
-प्रियदर्शन शास्त्री

No comments:

Post a Comment