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Saturday, January 6, 2018

सियार का मन्दिर -

एक चालाक सियार था I वह अक्सर जंगल के पास के गांवों में मुर्गी, बकरी आदि के शिकार के लिए जाया करता था i गाँव वालों के मुख से उसने कई बार सुन रखा था कि जब सियार की मौत आती है तो वह गाँव की और दौड़ पड़ता है .....ये सुनकर अक्सर उसे मौत का डर भी सताता था I ......डर से निजात पाने की हमेशा सोचता रहता था I एक दिन किसी ने उसे तरक़ीब सुझाई I .......तरक़ीब के अनुसार.....सियार गाँव के बाहर एक टीले पर चढ़..... असमान की ओर तकते हुए रोज़ "ऊऊऊ" कर ‘हूक’ भरने लगा I .....आरम्भ में तो गाँव वालों ने उसे अनदेखा कर दिया ....परन्तु धीरे धीरे कुछ लोग का ध्यान गया ...कि सियार एक निश्चित दिशा में बैठ कर निश्चित समय पर ही हुँकार लगाता है ....I दो चार लोगों ने जाकर सियार से पूछा तो सियार हाथ जोड़कर बोला – हे महानुभावों ! ऐसा करने से मुझे ईश्वर के दर्शन होते हैं .....I गाँव वालों ने सियार की बात सुन खूब मज़ाक़ बनाई कि भला ऐसे भी कहीं ईश्वर के दर्शन होते हैं ?? गाँव वाले उसकी खिल्ली उड़ाते रहे परन्तु सियार आत्मविश्वास के साथ डटा रहा I एक दिन उसने 'ऊऊऊ' बोलना शुरू ही किया था कि उसे उसकी प्रतिध्वनी सुनाई दी I उसने धीरे से पीछे मुड़ कर देखा .... गाँव के चंद लोग टीले के नीचे छुपकर उसके साथ राग मिलाकर 'ऊऊऊ" कर रहे हैं I उसे तरक़ीब बताने वाले की बात ध्यान में आयी कि यदि एक ही कार्य को पूरे आत्मविश्वास के साथ बार बार दोहराया जाये तो लोग स्वभाव के मुताबिक़ पहले तो उसकी मज़ाक़ बनाएँगे फ़िर उस पर गौर करेंगे फ़िर उस पर बिना सोचे समझे विश्वास कर उसका अनुकरण करने लगेंगे और अंत में उसके लिए जान तक देने तैयार हो जायेंगे I........... वह समझ गया कि उसकी तरक़ीब काम कर गयी है I इधर .........बहुत दिन गुज़रने के बाद भी जब ईश्वर के दर्शन नहीं हुए तब लोगों को बेवकूफ़ी का अहसास होने लगा परन्तु अब देर हो चुकी थी .....सवाल गाँव वालों के सामने मुंह दिखाने का भी था ....! वे सियार को मार भी नहीं सकते थे ऊपर से रोज़ ऊऊऊऊऊ करने का झंझट सो अलग I वे अपनी ही मूर्खता के जाल में फंस चुके थे I .......सियार उनकी मन:स्थिति को भाँप चुका था उसने लोगों से कहा कि तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम इस टीले पर मेरा एक मन्दिर बनवाकर .......कहीं ओर दफ़ा हो जाओ ! टीले पर सुन्दर सा एक मन्दिर बन चुका था I .....अब सियार को गाँव की ओर शिकार करने नहीं जाना पड़ता है गाँव के लोग ख़ुद ही भरे पूरे तगड़े मुर्गे उसे भेंट में चढ़ा जाते हैं .....I सियार बड़े मज़े से कहता है कि .....गाँव में अब किसी को मौत आती है तो पूरा गाँव सियार की और दौड़ पड़ता है I 

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