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Monday, May 19, 2014

जनता का मूड

       कांग्रेस बुरी तरह से हार गई साथ ही अन्य दलों का भी सूपड़ा साफ हो गया। हर दल चुनाव में हारने के बाद आत्म मंथन तथा आत्म विश्लेषण की बात करता है। राहुल, सोनिया गांधी एवं नीतीश कुमार ने तो हाल ही में आत्ममंथन का ड्रामा भी कर लिया। खैर आत्ममंथन करने की बात तो सभी करते है परन्तु क्या कोई जनता के मूड के मंथन की बात करता है ? नहीं।  
       कोई भी नेता जनता के मूड के मंथन की बात नहीं करना चाहता है। इसके कुछ कारण हैं। पाठकगण भी इस पर गौर करें तो बेहतर होगा। सबसे पहला कारण-  नेतागण जनता के मूड को मान्यता देना नहीं चाहता। गर मान्यता दे दी जाए तो वोट लेने का ट्रेंड बादल जाने का खतरा रहता है। नेता नहीं चाहते कि स्थापित ट्रेंड बार बार बदले। दूसरा बड़ा कारण- वोट लेने के लिए ग्राउन्ड तैयार करना। हर नेता जातिवाद, धर्म, बाहुबल, आपसी व्यवहार आदि के आधार पर सालों साल वोट लेने का एक प्लेटफॉर्म बनाता है इस मेहनत के बाद वह चाहता है कि जनता उसी प्लेटफॉर्म पर लम्बे समय तक खड़ी रहे। उदाहरण के लिए मुस्लिम वोटर्स आजादी से लेकर आज तक उसी प्लेटफॉर्म पर खड़े नज़र आते हैं जिसे श्रीमति इन्दिरा गांधी ने तैयार किया था। उनमें बहुत मामूली अंतर आया है। इसके अलावा कुछ साल पहले भाजपा ने वोटर्स की एक बहुत बड़ी संख्या को राममंदिर के मुद्दे पर खड़ा कर दिया था। लम्बे समय से सुश्री मायावती, लालू यादव, मुलायम सिंह आदि जाति एवं धर्म के प्लेटफॉर्म पर खड़े होकर राजनीति कर रहे हैं। तीसरा कारण- नेता नहीं चाहते कि वे जनता के हिसाब से चलें। वे तो जीत कर जैसे तैसे पाँच साल पूरा कर अपना भला कर लेना चाहते हैं।  
        और भी कई कारण हो सकते हैं जिनकी वजह से नेता या राजनैतिक दल जनता के मूड का मंथन नहीं करना चाहते। सभी चकराए हुए हैं कि श्री नरेंद्र मोदी ने सारे वोट कैसे स्वीप कर लिए। सबसे ज्यादा चकराहट सुश्री मायावती, मुलायमसिंह, लालूयादव एवं नीतीश कुमार ने महसूस की है। कांग्रेस को चक्कर जरूर आए परन्तु वे हाथ जोड़ माई-बाप कर राहुल- सोनिया गांधी एवं प्रियंका के आगे फिर खड़े हो गए कि "अब आप ही हमारे तारणहार हो।" कांग्रेस में तो सोच की शुरुवात भी फिरोज गांधी परिवार से होती है और खत्म भी वहीं होती है। रहा सवाल मोदी का। इस चुनाव में मोदी ही एक ऐसा नेता रहा जिसने जनता के मूड को पहचाना। इस मामले में स्वयं भाजपा भी मोदी का मुकाबला नहीं कर पाई। इस बार मेरी दृष्टि में हवा मोदी की नहीं हवा देश की जनता के मूड की थी। धन्यवाद । 

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