गंगास्नान से पाप धुलते हैं ये बात सच है परंतु पाप कौनसे धुलते हैं कभी किसी ने सोचा है ? हम शास्त्रों से हट कर बात कर रहे हैं। अगर गंगा में सभी प्रकार के पाप धोने की क्षमता होती तो शायद वो आज इतनी मैली न होती ? गंगा में पाप धोने की क्षमता प्राकृतिक है अर्थात ईश्वर प्रदत्त। इसको यों समझिए कि किसी मैकेनिकल ग़ैराज में गाड़ी ठीक करने वालों के हाथ काले हो जाते हैं, वो तो होंगे ही अगर गाड़ियों पर काम होगा तो। ऐसे काले हुए हाथों को धोने के लिए ग़ैराज मालिक ग़ैराज में एक साबुन रखता है, ठीक उसी तरह ईश्वर ने भी गंगा को इस धरा पर उतारा है क्योंकि ईश्वर को पता है कि कर्म जगत में कार्य करने पर लोगों के हाथ काले होंगे, अतः ये प्राकृतिक है, ऐसे काले हाथों को साफ करने की क्षमता गंगा के जल में है। अब ज़रा कल्पना करिए कि ग़ैराज में उपलब्ध कालिख को कोई अपने बदन पर यूँ ही चुपड ले, तो ऐसी कालिख का बेचारी ग़ैराज में रखी साबुन भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती। बल्कि आप ऐसी कालिख को उतारने जाएँगे तो वह साबुन भी उस कालिख से ओतप्रोत हो जाएगी। इसलिए मैने कहा है कि भाई ! इस कालजुग में इंसान बिना कालिख पोते मानेगा तो हैं नही, तथा शास्त्रानुसार वह गंगास्नान ज़रूर करेगा अतः घर में ही बाल्टी में दो बूँद गंगा जल की डाल लीजिए ताकि पूरी गंगा तो कम से कम साफ़ बची रहेगी। धन्यवाद |
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