Total Pageviews

Thursday, October 25, 2012

असली मिठाइयाँ

      पिछले दिनों एक बड़े टीवी चैनल पर त्यौहारों के दौरान बिकने वाली मिठाइयों, अगरबत्ती, कुमकुम आदि में होने वाली मिलावट पर एक रिपोर्ट दिखाई गई। हमेशा की तरह कुछ सैकन्ड की वीडियो क्लिप को पचासों बार रिपीट करके दिखाया गया जैसा हर टीवी चैनल करता है। दो-तीन सरकारी अधिकारियों के इंटरव्यू दिखा, रिपोर्ट पूरी कर दी गई। मिलावट में किन चीज़ों को मिलाया जाता है, गर दिखाया जाता तो अधिक अच्छा होता। कार्यक्रम देखकर मन में सवाल आया कि क्या सभी मिलावट करते हैं ? नहीं.. ये बिल्कुल ही ग़लत है कि सभी मिठाई बनाने वाले मिलावटी मिठाइयाँ बेचते हैं। मिलावटी मिठाइयों की भरमार वहीं होती है जहाँ लोग असली नकली की पहचान ना रखते हों, दूसरा मिठाइयों की खपत अत्यंत अधिक होती हो। बड़े शहर के लोगों में अक्सर देखा गया है कि वे असल के बजाय दिखावटी चीज़ों पर अधिक ध्यान देते हैं। ऐसे में मिलावट होना तथा वर्जित सामग्री का प्रयोग कर मिठाइयों को आकर्षक बनाना आम बात है। गावों में स्थिति एकदम इसके उलट है। गावों के लोगों को शहर के लोगों के मुकाबले में, घी-दूध के असली नकली की पहचान अधिक होती है, दूसरा- गाँव एक छोटी जगह होती  है इस कारण वहाँ वही चल पाता है जो ईमानदारी से काम करता है। अब सवाल ये है कि नकली मिठाइयों से कैसे बचा जाए ? इसके लिए कुछ बातें महत्वपूर्ण हैं- एक तो ऐसी मिठाइयाँ बिल्कुल भी न खरीदें जिनमें ये पता न चले कि इनको बनाने में किन किन चीजों का प्रयोग हुआ है, दूसरा अपने आसपास की प्रतिष्ठित दुकान से ही मिठाइयाँ खरीदें, तीसरा परंपरा से बनती चली आ रही मिठाइयों को ही तरज़ीह दें, चौथा- मिठाई में किन सामग्री का प्रयोग हुआ है दुकान वाले से ज़रूर पूछें, पाँचवा- पैकेट बंद मिठाई न खरीदें, खुली मिठाई को आप चख कर ही खरीदें, छठा- बहुत भीड़ पड़ने पर दुकान से मिठाई ना खरीदें क्योंकि भीड़ का फायदा उठा कर आप को नकली माल दिया जा सकता है, सात- मिठाई खरीदते समय अपने विवेक एवम् बुद्धि पर विश्वास रखते हुए काम लें, न कि टीवी चैनलों द्वारा बताई गई बातों पर जा कर असल सामग्री को ही छोड़ दें, आठ- मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा बेचीं गई चोकलेट आदि खरीद कर अपने आप को 'एडवांस' बताने के चक्कर में पड़ कर मूर्ख न बनें क्योंकि इतना सब कुछ करने के बावजूद भी यदि क़िसी मिठाई में आपको मिलावट दिखाई देती है तो आप कम से कम उस दुकान वाले से मिलावट के लिए शिकायत तो कर ही सकते है ठीक इसके विपरीत मल्टीनेशनल कंपनियों के प्रोडक्ट्स में तो आप पता ही नहीं कर सकते हैं कि ये असली है या नकली ? मेरी राय में खाना वही चाहिये जिस पर आप अपनी बुद्धि से विश्वास करते हों तथा उसे खाने को आपका मन करे। मल्टीनेशनल कंपनियों के प्रोडक्ट्स पर मैं क़तई विश्वास नहीं करता क्योंकि मेरे पडौस की दूकान में बनी मिठाई को तो बनते, मैं कभी जा कर देख सकता हूँ, जाँच सकता हूँ परन्तु किसी मल्टीनेशनल कंपनी के प्रोडक्ट की क्या मैं इतनी आसानी से जाँच कर सकता हूँ ? आप खुद सोचिये ?   
      हमारे सभी त्यौहार परंपरागत हैं। खाना, पीना, नए वस्त्र पहनना, घूमना- फिरना आदि इसमें महत्वपूर्ण है तो फिर घर पर मिठाइयाँ बनाने से परहेज क्यों ? सबसे अच्छी बात है आप परंपरागत त्यौहार को परंपरागत तरीक़े से बनती चली आ रही मिठाइयों को एक दिन पहले ही अपने घर पर बना कर त्यौहार का असली आनंद लें। धन्यवाद | 

No comments:

Post a Comment