"मेरे पास दस बाई दस का रहने का एक कमरा, खाना खाने की एक थाली और सोने का एक बिछौना है।इसके अलावा कुछ नहीं।" ये बात अन्ना हज़ारे के श्रीमुख से हमने कई बार सुनी होगी। अन्ना सफेद वस्त्र पहनते हैं | बस यहीं पर अन्ना और गाँधीजी में फ़र्क़ है। अन्ना को दाग-धब्बों से भय है इसलिए अपने वस्त्र पर दाग लगने देना नहीं चाहते। इस वजह से उन्होंने अपने आप को अरविंद केजरीवाल से अलग कर लिया। अन्ना ने गाँधीजी का साहित्य पढ़ा है। मेरी राय में जिस प्रकार "मैं हूँ अन्ना" लिखी टोपी पहन लेने से कोई अन्ना नहीं बन जाता ठीक उसी प्रकार गाँधीजी के साहित्य को पढ़ लेने मात्र से कोई गाँधी नहीं बन जाता। एक छोटी सी बात है, कोई भी पहलवान कपडे पहन कर अखाड़े में नहीं उतरता। क्योकि कपड़ों पर दाग एवम् मिट्टी लगने का डर रहता है। यही डर पहलवान को जी जान से लड़ने के लिए रोके रखता है। इसलिए एक अच्छा पहलवान शरीर पर सिर्फ़ लंगोटी लगाए लड़ाई के मैदान मे उतरता है। ये बात गाँधीजी अच्छी तरह से जानते थे। इसलिए उन्होंने सबसे पहले धवल वस्त्र उतार फेंके थे, शरीर पर मात्र एक धोती रखी थी। अब गांधीजी को दाग धब्बों का कोई डर नहीं था।
लड़ाई के दौरान कपड़ों के बजाय शरीर पर दाग लगना बहादुरी की निशानी होती है, अन्ना के सर पर भी गोली लगने का निशान है। शहीद भगत सिंह, सुखदेव आदि के गले पर फांसी के फंदे का निशान था। जहाँ लड़ाई शरीर से शरीर की न होकर दिमाग से दिमाग की हो वहाँ दुश्मन द्वारा कपड़ों पर दाग लगा कर चित करने की कोशिश की जाती है। एक बात और, दिमाग से दिमाग की लड़ाई में यदि निशान शरीर पर लग जाए तो वो महान एवं अमर हो जाता है जैसे भगतसिंह आदि । आज अन्ना लड़ाई के मैदान में उतर तो गए परन्तु उनकी हालत कपडे पहने हुए पहलवान की तरह है। अब दाग धब्बों का उन्हें डर है। धन्यवाद।
लड़ाई के दौरान कपड़ों के बजाय शरीर पर दाग लगना बहादुरी की निशानी होती है, अन्ना के सर पर भी गोली लगने का निशान है। शहीद भगत सिंह, सुखदेव आदि के गले पर फांसी के फंदे का निशान था। जहाँ लड़ाई शरीर से शरीर की न होकर दिमाग से दिमाग की हो वहाँ दुश्मन द्वारा कपड़ों पर दाग लगा कर चित करने की कोशिश की जाती है। एक बात और, दिमाग से दिमाग की लड़ाई में यदि निशान शरीर पर लग जाए तो वो महान एवं अमर हो जाता है जैसे भगतसिंह आदि । आज अन्ना लड़ाई के मैदान में उतर तो गए परन्तु उनकी हालत कपडे पहने हुए पहलवान की तरह है। अब दाग धब्बों का उन्हें डर है। धन्यवाद।
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