Total Pageviews

Friday, November 4, 2011

Petrol Price

           भारत में आज भ्रष्टाचार चरम पर है. देश की जनता मंहगाई से परेशान है. वर्तमान में लगभग सभी सरकारी क्षेत्र भ्रष्टाचार से ग्रसित हैं. जनकल्याण की कोई भी योजना ले लीजिये करोडों रुपये सरकारी अधिकारियों, नेताओं  व ठेकेदारों की जेब में चला जाता है. इसी भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जनता अब कटिबद्ध है. परन्तु राज्य एवं केंद्र सरकार कितनी तैयार है यह कहना मुश्किल है. उत्तराखंड सरकार ने जनलोकपाल बिल पास करने की हिम्मत दिखाई है. जहाँ तक केंद्र सरकार की बात करें तो स्पष्ट तौर पर दिखाई देता है कि सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कितनी कमजोर है. भ्रष्टाचार के विरूद्ध कोई भी कड़ा कानून बनाने का मतलब  है केंद्र में बैठे अपने के लोगों को जेल भेज देना होगा. प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह स्वयं अपने आसपास के किसी भी व्यक्ति की ईमानदारी की गारंटी नहीं ले सकते हैं. हर व्यक्ति कहीं न कहीं किसी न किसी भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त है. इन सब परिस्थितियों में भ्रष्टाचार के मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाने के लिए सरकार हर एक दो महीने में पेट्रोल, गैस या डीजल के दाम बढ़ा देती है ताकि लोग भ्रष्टाचार के बारे में न सोच कर मंहगाई के जाल में उलझ जाये. लोगों को मंहगाई के बोझ से इतना दबा दो कि उनके सोचने-समझने की क्षमता ही समाप्त हो जाये, यही सोच केंद्र सरकार को चलाने वाले विशेषज्ञों की लगाती है. 
             यह अत्यंत शोचनीय स्थिति है कि देश की जनता, जो कि पेट्रोल, गैस एवं डीजल सबसे बड़ी उपभोक्ता है, के सामने पेट्रोल, गैस एवं डीजल की कीमतों के बारे में वास्तविक स्थिति को उजागर किया ही नहीं जाता है. हर बार तेल कम्पनियाँ घाटे का बहाना कर कीमतें बढ़ा देती हैं. कम्पनियों को घाटा किस प्रकार है व क्यों है इसका वास्तविक कारण जनता के सामने उजागर सरकार के द्वारा किया जाना चाहिए क्योंकि तेल कम्पनियाँ भ्रष्टाचार से अछूती हों ऐसा हो ही नहीं सकता.    

No comments:

Post a Comment