गणाधिपति गणपति. जिनका आनन गज का है ऐसे देवता का शरीर भी विशालता लिये हुए है. इस विशाल एवं भारीभरकम शरीर को एक छोटा सा मूषक कैसे उठाता होगा, सोचने वाली बात है. एक ओर लघुता है तो दूसरी ओर विशालता. हांलाकि व्यावहारिक रूप में यह संभव नहीं है.
भारत में हिन्दू देवी देवताओं के साथ उनके वाहन का भी उल्लेख है. जैसे सरस्वती का हंस, विष्णु का गरुड़, शक्तिरूपा देवी का सिंह आदि. गणपति के वाहन को छोड़ कर बाकि सब के वाहनों में सामान्यता है परन्तु नन्हे से मूषक और विशाल गणपति के मध्य विचित्र से दिखने वाले तालमेल में कुछ तो बात है | इस तालमेल में लघुता से विशालता की ओर बढ़ने का संकेत दिखाई देता है | विशालता भी ऐसी कि जो अनंत है | अंतहीन विशालता को सूक्ष्मता पर टिके रहने का सन्देश है | सूक्ष्मता से ही अनंत ब्रम्हांड की शुरुआत हुई है | सूक्ष्मता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी विशालता | विशालता गजानन की तरह दृश्यमान है वहीँ लघुता मूषक के समान छुपी हुई है | विशालता धीर है, गंभीर है जबकि लघुता चंचल है चपल है. यही सब कुछ गणपति एवं मूषक के विचित्र से दिखने वाले तालमेल में दिखाई देता है.
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